कोरोना किट घोटाला : छत्तीसगढ़ ने 337 रु में खरीदा तो वही मोदी सरकार ने 795 रु में बेचा क्यों? जांच हो

कोरोना किट घोटाला : छत्तीसगढ़ ने 337 रु में खरीदा तो वही मोदी सरकार ने 795 रु में  बेचा क्यों? जांच हो


राजस्‍थान सरकार ने कोरोना वायरस परीक्षण के लिए इस्‍तेमाल किए जाने वाले टेस्‍ट किट के फेल होने पर रैपिड टेस्‍ट पर रोक लगा दी है। राजस्थान में जांच की गति को बढ़ाने के लिए चीन से आई रेपिड टेस्ट किट परीक्षण में विफल पाई गई है। कोरोना वायरस से इन्फेक्टेड 95% मरीजों की निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद अब सवाई मानसिंह अस्पताल के डॉक्टर्स PCR जांच को ही सही ठहरा रहे हैं। फिलहाल केवल 10 हज़ार किट ही राजस्थान आई हैं और आने वाले 2/3 दिन में दो-ढाई लाख किट और आनी है




राजधानी जयपुर में रेपिड टेस्ट से हो रही जांच फेल होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा प्रदेश में इस टेस्ट से हो रही जांच को रोक दिया गया है। जांच नमूने फेल होने के बाद रैपिड टेस्ट किट की विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कोरोना के 100 मरीजों का इस किट से टेस्ट किया गया, जिसमें से इसने 5 को ही पॉजिटिव बताया। यानी रैपिड टेस्ट किट कोरोना वायरस की पहचान में केवल 5।4 फीसदी सफलता हासिल कर पाई है।



स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने आगे कहा है कि हमने आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश में इसका प्रयोग किया लेकिन ये प्रयोग पूरी तरह फेल रहा। उन्होंने कहा हम उम्मीद कर रहे थे इस टेस्ट से सही जांच का औसत 90 प्रतिशत से अधिक होगा लेकिन हमारे डॉक्टरों के प्रयोग के बाद इसका औसत 5।4 प्रतिशत रहा। ऐसे में हम सकते है रेपिड टेस्ट से जांच पूरी तरह फेल रही । डॉक्टर्स ने भी इस रेपीड टेस्ट किट को कोरोना जांच के लिए फेल बताया है। हमने अब-तक इससे मिले जांच के नतीजों की रिपोर्ट आईसीएमआर को भेज दी। अब उनकी तरफ से रिपोर्ट आने का हम इंतजार कर रहे है ।

आपको बता दें, राजस्थान एंटी बॉडी रैपिड किट से टेस्टिंग की शुरुआत करने वाला पहला राज्य है। एक दिन पहले सोमवार को भी राजस्थान में रैपिड किट से 2000 लोगों की जांच की गई थी, जिसमें एक परिवार के 5 लोग पॉजिटिव मिले थे। अब किट की विश्वसनीयता पर सवाल उठने के बाद राजस्थान सरकार के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। गौरतलब है कि राजस्थान में कोरोना संक्रमित मरीजों के 52 नए मामले आए हैं। मंगलवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार, भीलवाड़ा में 4, टोंक में 2, सवाईमाधोपुर में एक, दौसा में 2, नागौर में एक, झुंझुनु में एक, जयपुर में 34, जोधपुर में 5 और जैसलमेर में 2 मामले सामने आए हैं।अब राज्य में कुल पॉजीटिव केस 1628 हो गए हैं।
तो वही 
वायरस  के खिलाफ युद्ध के वक़्त एक और बड़ा घोटाला होने जा रहा है। वैसे भी सूखा, बाढ़ और तूफान जैसी आपदाओं में सरकारें खूब कमाती हैं।

ICMR ने कल चीन से मंगाए रैपिड टेस्ट किट का उपयोग न करने की एडवाइजरी जारी की थी। इन किट्स में कोरोना जांच के नतीजे गड़बड़ मिल रहे थे।

अब ICMR खुद मान रहा है कि उसने बिना टेंडर के चीनी अफसरों की बात मानकर किट्स सीधे आर्डर कर दिए थे।



आज हरियाणा की बीजेपी सरकार ने चीन से 1 लाख रैपिड किट का आर्डर इसलिए रद्द कर दिया, क्योंकि इनकी कीमत 780 रुपये नग पड़ रही थी।

हरियाणा सरकार का कहना है कि दक्षिण कोरिया की भारतीय फर्म एसडी बायोसेंसर यही किट 380 रुपये में बेच रही है।

अब यहां से कहानी ट्विस्ट लेती है।

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने इसी कंपनी से ₹337 में किट खरीदे हैं।

लेकिन ICMR को चीन की नकली किट ₹795 में पड़ी।

कर्नाटक की बीजेपी सरकार को भी चीनी किट इतने में ही मिली, लेकिन आंध्र सरकार को ₹640 में पड़ी।

अब कुछ सवाल-
1. चीनी कंपनी की किट के अलग-अलग दाम क्यों हैं?
2. जब भारत में एक राज्य ₹337 में किट खरीद रहा है तो दोगुने से ज़्यादा खर्च की क्या ज़रूरत है?
3. ICMR ने टेंडर क्यों नहीं किया?
4. बाकी राज्यों के टेंडर में क्या विशिष्टताएं हैं?
5. बोली लगाने वाली कंपनियां कौन हैं? क्या रेट हैं?
6. दलाल कौन है? दलाली का रेट क्या है?
7. टेस्ट किट की क्वालिटी कौन जांच रहा है? बिना क्वालिटी जांचे राज्यों को किट कैसे मिल रही है?
8. पूरे मामले में ICMR और स्वास्थ्य मंत्री की क्या भूमिका और जिम्मेदारियां हैं?
9. केंद्र सरकार की इस मामले में क्या गाइड लाइन है? नहीं है तो क्यों?